माँ काली की उपासना से भक्तों को सभी संकटों से मुक्ति प्राप्त होती है। माँ काली शक्ति व संप्रदाय की प्रमुख देवी है। जिस प्रकार महादेव को काल या संहार का अधिपति कहा जाता है उसी प्रकार देवी काली को संहार का अधिष्ठात्री कहा गया है। कहा जाता है की शुम्भ-निशुम्भ के वध के समय माँ काली के शरीर से एक तेज पुंज बाहर निकल गया था जिसके फलस्वरूप उनका रंग काला पड़ गया और तभी से उनको काली कहा जाने लगा था।
इनकी पूजा से भय का नाश ,आरोग्य की प्राप्ति, स्वयं की रक्षा और शत्रुओं का नियंत्रण होता है। इनकी उपासना से तंत्र मंत्र के सारे असर समाप्त हो जाते हैं। माँ काली की पूजा का उपयुक्त समय रात्रि काल का समय माना जाता है। माँ काली की उपासना से पाप ग्रहों, विशेषकर राहु और केतु शनि की शांति के लिए फलदायी होती है। इनकी पूजा दो प्रकार से होती है एक तो सामान्य रूप से और दूसरी तंत्र विद्या के माध्यम से की जाती है।
माँ काली की उपासना में लाल और काली वस्तुओं का विशेष महत्व होता है,तथा यह वस्तुओं को उन्हें अर्पित भी किया जाता है। माँ काली की उपासना से शत्रु और विरोधियों का नाश होता है। इनकी पूजा शत्रुओं को शांत करने के लिए भी की जाती है। देवी की उपासना करने से भक्तों के सभी कष्टों का नाश होता है और देवी की कृपा सदैव उपासकों पर बनी रहती है।
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