पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन सभी शुभ कार्य किए जाते हैं ताकि उनका अक्षय फल प्राप्त हो इसलिए ही इस पर्व को अक्षय तृतीया कहा जाता है। विशेष तौर पर यह पर्व महिलाओं का माना जाता है। इस दिन सोने चांदी की खरीददारी का भी रिवाज है। इस दिन किए गए कार्यों का फल ताउर्म आपको प्राप्त होता है। तथा व्यक्ति की समस्त कष्टों का भी विनाश होता है। इस दिन माँ लक्ष्मी के पूजन से सदैव माँ की कृपा अपने भक्तों पर बनी रहती है। उन्हें सुख -संपत्ति की प्राप्ति होती है।
अक्षय तृतीया पर देवी विंध्यवासिनी के श्रृंगार पूजा से जीवन की समस्याएं होंगी दूर, मिलेगा धन लाभ का आशीर्वाद : 26-अप्रैल-2020
अक्षय का अर्थ होता है कभी न समाप्त होने वाला उसी प्रकार इस दिन व्यक्ति द्वारा किए गए कार्यों का सुख वह जीवन भर भोगता है। अक्षय तृतीया का दिन उपवास के लिए भी बहुत उत्तम माना जाता है। इस दिन ईश्वर अपने भक्तों की कोई प्रार्थना अनसुनी नहीं करते। माना जाता है की यदि कोई भी व्यक्ति अपने या अपने स्वजनों द्वारा की गयी भूल के लिए ईश्वर के समक्ष क्षमा प्रार्थी होता है तो भगवान उसकी प्रार्थना जरूर स्वीकार करते हैं। तथा उसे समृद्ध जीवन का आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
अक्षय तृतीया का दिन व्रतोत्सव और त्यौहार दोनों ही रूपों में जाना जाता है। इस दिन मूंग और दाल की खिचड़ी बिना नमक डाले बनाई जाती है। घरों में अक्षय तृतीया के दिन पक्की रसोई भी नहीं बनाई जाती है। इस दिन ब्रह्म बेला में स्नानादि करके व्रत या उपवास का संकल्प करना चाहिए। प्रतिमा के रूप में भगवान विष्णु और माँ लक्ष्मी की आराधना की जाती है जिनके आशीर्वाद से भक्तों के घरों में सुख -शान्ति ,धन-धान्य व आशीर्वाद बना रहता है।
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