मान्यता है की अधिक मास में महात्म्य की कथा सुनने से भगवान विष्णु अपनी कृपा अपने भक्तों पर बरसाते रहते है | मलमास महात्म्य की कथा पढ़ने से हर बिगड़ा काम बनने लगता है | अधिक मास की कथा अगर सुने तो पूरे मन और श्रद्धा से पूरी कथा को सुने | अधिक मास में कथा सुनने के साथ दान किया जाए तो अधिक से अधिक लाभ प्राप्त होता है और मन की सभी मनोकामनाएँ पूरी होती है | अधिक मास की कथा जो भी व्यक्ति सुनता है उसको मनवांछित फल की प्राप्ति होती है। अधिक मास का अध्याय पूरे निष्ठा से सुनना चाहिए। सभी कार्य सिद्ध होंगे।
अधिक मास में कराएं भगवान विष्णु से जुड़ें महत्वपूर्ण दान, मिलेगा समस्त पापों से छुटकारा
अधिक मास की कथा :
पौराणिक कथाओं के अनुसार, ऋषि-मुनियों ने ज्योतिष की गणना पद्धति से हर चंद्र मास के लिए एक देवता निर्धारित किए थे | अधिक मास सूर्य और चंद्र मास के बीच संतुलन बनाने के लिए होता है इसलिए इस मास का अधिपति बनने के लिए कोई देवता तैयार नहीं हुआ | ऐसे में स्वामीविहीन होने के कारण अधिकमास को 'मलमास' कहने से उसकी बड़ी निंदा होने लगी | इस बात से दु:खी होकर मलमास श्रीहरि विष्णु के पास गया और उनसे अपना दुखड़ा रोया।
भक्तवत्सल श्रीहरि उसे लेकर गोलोक चले गए | वहां श्रीकृष्ण पहले से ही थे। करुणासिंधु भगवान श्रीकृष्ण ने मलमास की व्यथा जानकर उसे वरदान दिया और कहा - अब से मैं तुम्हारा स्वामी हूँ , इससे मेरे सभी दिव्य गुण तुम में समाविष्ट हो जाएंगे। मैं पुरुषोत्तम के नाम से विख्यात हूं और मैं तुम्हें अपना यही नाम दे रहा हूं। आज से तुम मलमास के बजाय पुरुषोत्तम मास के नाम से जाने जाओगे।
सोई हुई किस्मत जगाने का समय - अधिक मास की एकादशी पर कराएं 10 महादान - लक्ष्मी नारायण मंदिर, दिल्ली : 27-सितम्बर-2020
इसीलिए प्रति तीसरे वर्ष (संवत्सर) में तुम्हारे आगमन पर जो व्यक्ति श्रद्धा-भक्ति के साथ कुछ अच्छे कार्य करेगा, उसे कई गुना पुण्य मिलेगा | इस प्रकार भगवान ने अनुपयोगी हो चुके अधिकमास को धर्म और कर्म के लिए उपयोगी बना दिया | अत: इस दुर्लभ पुरुषोत्तम मास में स्नान, पूजन, अनुष्ठान एवं दान करने वाले को कई पुण्य फल की प्राति होगी।
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