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अधिक मास की एकादशी क्यों कहलाई पद्मिनी एकादशी ?

Myjyotish Expert Updated 26 Sep 2020 07:40 PM IST
Padmini Ekadashi
Padmini Ekadashi - फोटो : Myjyotish
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हिंदी पंचांग के अनुसार पद्मिनी एकादशी का व्रत अधिक मास के समय पड़ता है। माना जाता है कि अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन पद्मिनी एकादशी का व्रत रखा जाता है। पद्मिनी एकादशी को कमला एकादशी भी कहा जाता है। पद्मिनी एकादशी 3 साल में एक बार आती है। माना जाता है कि पद्मिनी एकादशी का व्रत और पूजा बहुत ही लाभदायक होती है। पद्मिनी एकादशी के दिन दान करना भी बहुत शुभ माना जाता है और उससे बहुत पुण्य मिलता है । शास्त्रों में लिखा है कि पद्मिनी एकादशी के महत्व के बारे में श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को बताया था । पद्मिनी एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है। भगवान विष्णु की पूजा करने से जीवन में सुख समृद्धि बनी रहती है और मन की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है।

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इस बार अधिक मास में पद्मिनी एकादशी 27 सितंबर को है । पद्मिनी एकादशी की तिथि 26 सितंबर को शाम को 6:59 शुरू होगी और 27 सितंबर की शाम 7:46 पर खत्म होगी ।

 पद्मिनी एकादशी पूजा विधि:-
  • सुबह उठकर स्नान करके सफेद वस्त्र धारण करें । अगर पवित्र नदी में स्नान कर पाए तो वह बहुत ही अच्छा होगा।
  • उसके बाद सूर्य भगवान को एक लोटे में जल लेकर उसमें थोड़ा सा गंगाजल डालकर अर्पित करें । भगवान विष्णु से प्रार्थना करें और अपने व्रत का संकल्प लें ।
  • अपने घर के मंदिर में भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र स्थापित करें और उसके ऊपर गंगाजल का छिड़काव करके उसको शुद्ध कर ले ।
  • भगवान विष्णु को पीला रंग बहुत ही प्रिय होता है इसलिए उन्हें पीले पुष्प और रोली चढ़ाएं।
  • भगवान विष्णु को तुलसी के पत्ते भी अर्पित करें।
  • भगवान विष्णु की मूर्ति के आगे दीपक जलाए और उनकी आरती करें। उसके साथ विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ जरूर पढ़ें । उसके बाद अगले दिन द्वादशी के दिन पारण मुहूर्त में व्रत को खोल ले ।

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इन बातों का विशेष ध्यान रखें:

जो भी व्यक्ति पद्मिनी एकादशी का व्रत रखता है उसको पूरे दिन नमक नहीं खाना चाहिए । ब्रह्मचर्य का जरूर पालन करना चाहिए | पद्मिनी एकादशी के दिन बिस्तर पर ना सोकर जमीन पर सोए । पद्मिनी एकादशी की रात को जागरण करें और भगवान की आराधना करें और अगले दिन ब्राह्मणों को भोजन कराएं।

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