अधिक मास में वृन्दावन के बांके बिहारी जी मंदिर में कराएं श्री कृष्ण की अत्यंत फलदायी सामूहिक पूजा : 13-अक्टूबर-2020
पूर्व काल में एक बार दैत्य हिरण्यकश्यप ने अपने कठोर तप से भगवान ब्रह्मा जी को प्रसन्न कर लिया । ब्रह्मा जी ने उसे वरदान मांगने को कहा , हिरण्यकश्यप ने अमर होने का वरदान मांग लिया। क्योंकि अमर होने का वरदान देने निषेध था तो ब्रह्मा जी ने उसे कहा की तुम कोई और वरदान मांग लो । तब हिरण्यकश्यप ने वरदान मांगा की उसे संसार का कोई नर,नारी,पशु,देवता या असुर मार न सके और वो वर्ष के 12 महीने मृत्यु को प्राप्त न हो । जब वो मरे तब न रात हो रही हो न ही दिन ना ही कोई शास्त्र से वो मरे और न ही किसी अस्त्र से। उसे न घर में मारा जा सके और न ही घर के बाहर। ब्रह्मा जी ने हिरण्यकश्यप को यह वरदान दे दिया । अब हिरण्यकश्यप ख़ुद को अमर समझने लगा और उसने ख़ुद को भगवान घोषित कर दिया । और फिर जब समय आया तो भगवान विष्णु ने नरसिंह का अवतार लिया यानी आधा शेर और आधा पुरुष ,शाम के समय,देहरी के नीचे , नाखूनों से हिरण्यकश्यप का वध कर दिया।
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