बुधवार, 5 अगस्त 2020 को अयोध्या स्तिथ राम मंदिर में भूमिपूजन का आयोजन होने जा रहा है। प्रधान मंत्री, नरेंद्र मोदी द्वारा आधारशिला रखने की संभावना है। यह समारोह धनिष्ठा नक्षत्र के तहत शुरू होगा और शतभिषा नक्षत्र के संचालन के दौरान समाप्त होगा। मंदिर की आधारशिला दोपहर ठीक 12:15 पर अभिजीत नक्षत्र के तहत रखी जाएगी।
यह विवादित स्थल लंबे समय से धार्मिक समुदायों के बीच विवाद का कारण बना हुआ है। मंदिर स्थल की अनूठी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को देखते हुए आधारशिला रखने के लिए एक उपयुक्त मुहूर्त इसके सुचारु और समय पर क्रियान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए सार्थक कदम हो सकता है।
अब सवाल यह है कि क्या समारोह के लिए चुना गया मुहूर्त सही है? वैदिक ज्योतिष में धार्मिक स्मारक के निर्माण के लिए मुहूर्त को तीन भागों में बाटा गया है। पहला स्थल की खुदाई के लिए, दूसरा शिलान्यास के लिए और तीसरा निर्माण गतिविधियों को शुरू करने के लिए है। आइए समझते हैं कि 5 अगस्त को निश्चित मुहूर्त के पक्ष और विपक्ष क्या हैं।
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पक्ष में:
- इस दिन द्वितीया तिथि का संचालन है जो भगवान ब्रह्मा के स्वामित्व में है और सभी गतिविधियों को क्रियान्वित करने के लिए शुभ मानी जाती है।
- अभिजीत नक्षत्र का निर्णय सही है। यह 28 वां नक्षत्र है और किसी भी गतिविधि को शुरू करने के लिए अत्यधिक शुभ माना जाता है।
- बुधवार का दिन चुना गया है जो ठीक है।
- इस दिन शोभना योग बनता है जो कि शुभ है।
विपक्ष में:
- शक्ति और स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए सामान्य रूप से स्थिर नक्षत्र सबसे उपयुक्त होते हैं। लेकिन धनिष्ठा और शतभिषा चल नक्षत्र हैं। इसके अलावा, धनिष्ठ का स्वामित्व मंगल और शतभिषा राहु के पास है, दोनों ही क्रूर ग्रह हैं।
- चंद्र कृष्णा पक्ष में हैं। इस स्तिथि में चंद्र को कमज़ोर माना गया है। शुक्ल पक्ष के चंद्र अधिक बलशाली होते हैं।
- यह चन्द्र मास का भद्रा मास है। आधारशिला रखने के लिए फाल्गुन, श्रावण, मार्गीशेरा, पूसा या विशाखा मास उच्चित माने गए हैं।
- यह बहुत छोटा मुहूर्त है। 12:27 Pm से 12:54 बजे तक राहु कालम रहेगा, जो किसी भी गतिविधि को शुरू करने के लिए अशुभ माना जाता है।
- 12:15 Pm पर तुला लग्न होगा जो कि गति को दर्शाता है जो उपयुक्त नहीं है। स्थिर लग्न का चयन जैसे वृषभ, सिंह या वृश्चिक लाभकारी सिद्ध होता।
- तुला लग्न के स्वामी शुक्र राहु / केतु, मंगल और शनि जैसे सभी पाप ग्रहों द्वारा अत्याधिक पीड़ित है।
- चंद्र पाप कर्तरी योग में हैं व शनि और मंगल द्वारा पीड़ित हैं, जो उन्हें काफी अशुभ और बलहीन बनाता है।
- दोनों शनि और बृहस्पति वर्तमान में प्रतिगामी गति में हैं। ऐसे समय में शुरू की गई किसी भी गतिविधि को अल्पकालिक और अस्थिर माना जाता है।
- भगवान राम की राशी को कर्क बताया गया है। वहां से देखते हुए, नींव रखने के दिन चंद्रमा अष्टम भाव में स्तिथ होंगे जो अत्याधिक नकारात्मक है।
- कुंभ राशि में चंद्रमा प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की कुंडली के चतुर्थ भाव में स्तिथ है, जिसे अच्छा नहीं माना जाता है। यह विवादों और निष्पादन में बाधाओं को जन्म दे सकता है।
अंत में यह कहा जा सकता है कि यह एक बहुत ही साधारण मुहूर्त है। श्रद्धेय साधुओं, ऋषियों और ज्योतिषियों को इस पर बेहतर काम करना चाहिए था।
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