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Maa Parvati Puja On Ahoi Ashtami Tamra Gauri Temple Gokarna

संतान की रक्षा-दीर्घायु एवं संतान प्राप्ति हेतु अहोई अष्टमी पर कराएं माँ पार्वती की अर्चना - ताम्रा गौरी मंदिर,गोकर्ण : 8 नवंबर 2020 | Maa Parvati Puja Online

By: Myjyotish Expert

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पार्वती पूजा के शुभ फल :

  • संतान किसी भी संकट से दूर रहती है।
  • स्वास्थ्य संबंधित परेशानियों से छुटकारा मिल जाता है।
  • दीर्घायु का वरदान प्राप्त होता है।
  • पुत्र सुख प्राप्त होता है, अवश्य रूप से मनोकामना पूरी होती है ।
  • जीवन में सफलता, सुख,  शांति और समृद्धि बनी रहती है।
  • निष्कंटक जीवन का सुख प्राप्त होता है ।

अहोई अष्टमी का दिन देवी पार्वती को समर्पित माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार यह दिन दीवाली की शुरुआत का प्रतीक है।  जिन महिलाओं को गर्भपात होता है या गर्भधारण करने में समस्या होती है, उन्हें स्वस्थ बच्चे का आशीर्वाद पाने के लिए अहोई अष्टमी के दिन देवी पार्वती की पूजा जरूर करनी चाहिए।  अहोई अष्टमी को कृष्णष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। इसलिए यह दिन निःसंतान दंपतियों के लिए महत्वपूर्ण होता है। माताएं यह पर्व अपने बच्चों के लंबे, सुखी और स्वस्थ जीवन के लिए मनाती है। 

ताम्रा गौरी मंदिर, गोकर्ण जिले में स्थित एक प्रसिद्ध मंदिर है। यह मंदिर माता गौरी का एक प्रसिद्ध मंदिर है। यहाँ स्थित देवी को गोकरानायकी माता के नाम से जाना जाता है। इस स्थान पर देवी पार्वती की पूजा करने से भक्तों के कष्टों का निवारण होता है। बालकों को लंबी आयु एवं बाधा मुक्त जीवन प्राप्त होता है। अहोई अष्टमी का पूजन अत्यंत ही कल्याणकारी माना जाता है। इस दिन पूजन करने से समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। 

हमारी सेवाएँ :
अनुष्ठान से पहले हमारे युगान्तरित पंडित जी द्वारा फ़ोन पर आपको संकल्प करवाया जाएगा। तथा पंडित जी द्वारा पूर्ण विधि -विधान से पूजन संपन्न किया जाएगा।

प्रसाद :

  • कुमकुम 
  • कलावा

जानिये हमारे पंडित जी के बारे में

अहोई अष्टमी पर माँ पार्वती पूजा के लाभ

अहोई अष्टमी कृष्ण पक्ष अष्टमी पर दिवाली से लगभग 8 दिन पहले मनाया जाने वाला एक हिंदू त्योहार है। पूर्णिमंत कैलेंडर के अनुसार उत्तर भारत में, यह कार्तिक महीने के दौरान पड़ता है और अमांता कैलेंडर के अनुसार गुजरात, महाराष्ट्र और अन्य दक्षिणी राज्यों में इस पर्व को बहुत धूम - धाम से मनाया जाता है।  
अहोई अष्टमी पर उपवास और पूजा माता अहोई या देवी अहोई को समर्पित मानी जाती है। माताएं अपने बच्चों की भलाई और लंबे जीवन के लिए माँ पार्वती की पूजा करती है। इस दिन को अहोई अठ्ठे के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि अहोई अष्टमी का व्रत अष्टमी तिथि के दौरान किया जाता है जो कि चंद्र माह का आठवां दिन होता है। अहोई माता कोई और नहीं देवी पार्वती हैं।

इस दिन व्रत या उपवास का पालन अहोई अष्टमी माता की पूजा का मुख्य आकर्षण होता है । भारत के उत्तर में महिलाएं सुबह जल्दी उठती हैं, यहां तक कि सूर्योदय से पहले भी, और मंदिर में पूजा करने से पहले कुछ जलपान करती हैं। उपवास मंदिर में प्रार्थना के बाद शुरू होता है और यह तब तक चलता है जब तक कि चंद्रमा दिखाई नहीं देता। जैसे ही पहला तारे आसमान में दिखाई देते हैं महिलाएं अपना उपवास तोड़ देती हैं। वहीँ बहुत सी महिलाएं चन्द्रमा के आने तक का इंतज़ार करती है। और चाँद के दर्शन करते ही अपना व्रत खोलती है। 

अहोई अष्टमी त्योहार के पालन या उत्सव के बारे में एक प्रसिद्ध कहानी है। एक बार एक गाँव में एक महिला रहती थी। उसके सात बेटे थे। कार्तिक के महीने में एक दिन, जब वह पास के जंगल में मिट्टी खोद रही थी, तब उसकी कुल्हाड़ी गलती से मांद में गिर गई और अंदर सो रहे एक शावक की मौत हो गई। कुछ समय बाद, उसी वर्ष एक-एक करके महिला के सात पुत्र मर गए। महिला दुखी थी और उसने जंगल में हुई घटना के विषय में सभी महिलाओं को बताया। गाँव की बूढ़ी महिलाओं ने सांत्वना दी और उसे सलाह दी कि वह अहोई अष्टमी भगवती को शावक का चेहरा बनाकर प्रार्थना करें और उनसे क्षमा प्रार्थी हो। उसने सात साल तक लगातार ऐसा किया और भगवान की कृपा से उसने अपने सभी सात बेटों को वापस पा लिया।

यदि आप अपने संतान से जुड़ी किसी भी समस्या से परेशान रहते है ? या कोई मनोकामना जिसकी पूर्ति चाहते हो तो अहोई अष्टमी का पूजन आपके लिए कल्याणकारी प्रमाणित होगा। यह पूजा आप बिना किसी परेशानी के ऑनलाइन बुक कर सकतें। यह पूजा माँ पार्वती के प्रसिद्ध मंदिर ताम्रा गौरी मंदिर, गोकर्ण में संपन्न किया जाएगा। यह ऑनलाइन पूजा प्रतिष्ठित पुजारियों द्वारा पूर्ण विधि - विधान से की जाती है। 


FAQ

माँ पार्वती को कैसे प्रसन्न करूँ?


पूजा के दौरान, महिलाओं को देवी पार्वती को सिंदूर, लाल चूड़ियाँ, मेहंदी आदि भेंट करनी चाहिए। इस दिन पति-पत्नी दोनों को सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए। इसके बाद, जोड़े को शिव-पार्वती मंदिर जाना चाहिए और भगवान शिव और देवी पार्वती को लाल फूल चढ़ाने चाहिए। इससे उनकी समस्त इच्छाएं पूर्ण होंगी।


हम अहोई अष्टमी पर पार्वती की पूजा क्यों करते हैं?


अहोई अष्टमी का पूजन संतान से जुड़ी कामनाओं की पूर्ति के लिए किया जाता है। इस दिन पूजा - पाठ करने से सम्पूर्ण फल प्राप्त होता है। इस दिन विशेष तौर पर माता पार्वती का पूजन किया जाता है क्यूंकि वह नवदुर्गा में मातृ रूप का प्रतिनिधित्व करती है। उनकी इच्छा से दांपत्य जीवन सुखद होता है साथ ही संतान सुख की इच्छा भी पूर्ण होती है।


मैं मां पार्वती पूजा को ऑनलाइन कैसे बुक कर सकता हूं?


यह एक बहुत ही आसान प्रक्रिया है। आपको बिना किसी परेशानी के वेबसाइट पर जाकर अपनी इच्छानुसार पूजा को बुक करना है। जिसके बाद वेबसाइट पर लॉगिन कर आप पूजा का भुक्तान कर सकते है। इसके बाद आपकी पूर्ण सहायता के लिए हमारी ओर से समय - समय पर फोन के माध्यम से समस्त जानकारी प्रदान की जाएगी।


क्या ताम्रा गौरी मंदिर में पूजा करना फायदेमंद है?


गोकर्ण का ताम्रा गौरी मंदिर, माँ पार्वती का प्रसिद्ध मंदिर है। माँ गौरी कल्याणकारी है एवं सदैव भक्तों की इच्छापूर्ति का आशीर्वाद प्रदान करती है। उनको प्रसन्न करना बहुत आसान है। उनकी इच्छा से भक्तों की सभी कामना पूर्ण होती है साथ ही उन्हें किसी दुःख एवं कष्ट का सामना नहीं करना पड़ता। इस मंदिर में पूजन करने से आपकी इच्छा आवश्य ही पूर्ण होगी।


क्या मैं माँ पार्वती देवी की पूजा रोज कर सकता हूँ?


जी बिलकुल, माँ पार्वती का पूजन रोज करना बहुत ही शुभ फल प्रदान करता है। जो कोई भी अपनी श्रद्धा एवं निष्ठा से माँ पार्वती की पूजा करता है उसके जीवन की सभी परेशानियां दूर हो जाती है। उसे किसी भी बाधा का सामना नहीं करना पड़ता , उसकी संतान दिन - दुगनी तरक्की करती है। उसका जीवन खुशियों से भर जाता है और कोई कष्ट उसके मार्ग में नहीं आता।



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