लाभ-
भगवान कालभैरव को शनि का अधिपति देव बताया गया है । शनि पीड़ा से मुक्ति के लिए एवं राहु-केतु से प्राप्त हुई पीड़ा और कष्ट की मुक्ति के लिए भैरव उपासना से उच्च और कोई उपाय नहीं है। वाराणसी के विश्वेसरगंज स्थित कालभैरव को काशी का कोतवाल भी कहा जाता है ऐसी मान्यता है कि बिना उनकी इच्छा के काशी में कोई नहीं रह सकता । इसलिए उनकी पूजा करने पर सारे बिगड़े काम बन जाते हैं ।
पूजा की विधि-
कालभैरव अष्टमी को श्री भैरवनाथ भगवान की पूरे विधिविधान से हवन व पूजा की जाती है ।
पूजा ऑर्डर करने के पश्चात, एक दिन पहले हमारे द्वारा आपको फोन पर सारी जानकारी दी जाएगी व पूजा के दिन पंडित जी द्वारा फोन पर आपका संकल्प कराया जाएगा ।
प्रसाद :
1. सूखा मेवा
2. एनर्जाइज्ड काला धागा (गले में 21 दिन पहनें उसके बाद इसे बहते पानी में बहा दें )
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