पूजा के शुभ फल :
नवरात्रि का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। ऐसा माना जाता है कि देवी दुर्गा ने राक्षस महिषासुर (जो अहंकारवाद का प्रतिनिधित्व करता है) के साथ नौ दिनों तक युद्ध किया और अंतिम दिन । जिस दिन माता रानी ने उसका सिर धढ़ से अलग कर दिया, उस दिन को, उसे विजय दशमी कहा जाता है। नवरात्रि साल में चार बार पड़ती है।
हमारी सेवाएं : हमारे पंडित जी के द्वारा आपके नाम से दुर्गा सप्तशती का पाठ किया जाएगा। पंडित जी के द्वारा कॉल पर आपको संकल्प करवाया जाएगा। पूजा के बाद प्रसाद भिजवाया जाएगा।
पूजा का प्रसाद :
क्यों शुभ और लाभकारी माना जाता है दुर्गा सप्तशती का पाठ
नवरात्र के दौरान मां दुर्गा के भक्त विधि विधान के साथ 9 दिन पूजा करते हैं फिर उसके बाद दुर्गा सप्तशती का भी पाठ करवाते हैं। दुर्गा सप्तशती का पाठ घरों में हर रोज किया जाता है लेकिन नवरात्र में इसका पाठ अधिक फलदायी होता है। दुर्गा सप्तशती का पाठ कम से कम तीन घंटे चलता है किंतु आजकल की तेज़ तरार जिंदगी में दुर्गा सप्तशती का पाठ कराने के लिए समय नहीं होता है। निजी और ऑफिस के कामों के दवाब के चलते कुछ अध्यायों का ही पाठ कराया जाता है। हम कम समय में संपूर्ण दुर्गा सप्तशती के पाठ का लाभ प्राप्त करने के लिए एक आसान उपाय बताने जा रहे हैं। जो खुद भगवान शिव ने बताए हैं।
दुर्गा सप्तशती पाठ क्या है
दुर्गा सप्तशती में 13 अध्याय होते हैं। जिनको तीन चरित्रों में बांटा गया है। हर अध्याय में मां भगवती के रूपों के बारे में वर्णन किया है। दुर्गा सप्तशती का प्रथम चरित्र में मधु कैटभ वध कथा, मध्यम में महिषासुर का संहार और उत्तर चरित्र में शुम्भ-निशुम्भ वध और सुरथ एवं वैश्य देवी मां से मिले वरदान का विवरण किआ गया है।
कम समय में दुर्गा सप्तशती का संपूर्ण लाभ लेने के लिए सबसे पहले कवच, कीलक व अर्गला स्त्रोत का पाठ करवाना चाहिए। इसके बाद कुंजिका स्त्रोत का पाठ करें। ऐसा करने से दुर्गा सप्तशती के संपूर्ण पाठ का फल प्राप्त होता है।
दुर्गा सप्तशती की पौराणिकता
पुराणों के अनुसार, भगवान शिव ने माता पार्वती को यह उपाय निर्देशित किआ था। उन्होंने कहा था कि इसका पाठ करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है और संपूर्ण दुर्गा सप्तशती के पाठ का लाभ होता है। भगवान शिव ने कहा था कि कुंजिका स्त्रोत के सिद्ध किए हुए मंत्र को कभी किसी का अहित करने के लिए नहीं प्रयोग करना चाहिए। ऐसा करने से उस व्यक्ति का ही अहित हो जाता है।
दुर्गा सप्तशती का महत्व
नवरात्र में हर रोज दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से मां का आशीर्वाद प्राप्त होता है तथा हर तरह के विघ्न मिट जाते हैं। पाठ के अध्याय का अलग-अलग फल मिलता है और मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं। सप्तशती के पाठ के बाद दान जरूर दें। ऐसा करने से माता हर मोड़ पर सहायता करती हैं।
नवरात्र में कवच, कीलक व अर्गला के बाद कुंजिका स्त्रोत का पाठ करना विशेष फलदायी माना गया है। इससे ना सिर्फ दुर्गा सप्तशती के पाठ का संपूर्ण फल मिलता है बल्कि आर्थिक समस्या से भी मुक्ति मिलती है। शत्रुओं से निजात मिलती है और कोर्ट-कचहरी के मामलों में जीत के लिए यह स्त्रोत किसी चमत्कार से कम नहीं है। इसके पाठ से जीवन की सभी समस्या और विघ्न दूर हो जाते हैं।
दुर्गा सप्तशती पाठ क्या है?
दुर्गा सप्तशती का पाठ तीन भाग में विभाजित किया गया हैं। यह तीन भाग प्रथम, मध्यम और उत्तम चरित्र हैं। प्रथम चरित्र में पहला अध्याय आता है ,मध्यम चरित्र में दूसरे से चौथा अध्याय और उत्तम चरित्र में 5 से लेकर 13 अध्याय आता है।
श्री दुर्गा सप्तशती पाठ का महत्व क्या हैं?
कथाओं के अनुसार, देवी माँ ने भयावय राक्षसों के खिलाफ विनाशकारी युद्ध किया, जिन्होंने ब्रह्मांड की शांति को बर्बाद कर दिया था। उस समय, जब देवताओं ने एक उच्च शक्ति से हस्तक्षेप की प्रार्थना की, देवी दुर्गा प्रकट हुईं और ब्रह्मांड के कल्याण के लिए युद्ध किया। इसी युद्ध की कथा का पाठ दुर्गा सप्तशती के रूप में जाना जाने लगा जो भक्तों को बुराई पर अच्छाई की शिक्षा का पाठ प्रदान करता है।
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नवरात्रि का क्या महत्व है?
देवी दुर्गा को शक्ति के रूप में भी जाना जाता है, इसलिए नवरात्रि में देवी के सभी रूपों की पूजा की जाती है। देवी की शक्ति पूजा करने से पूजा करने वाले को सभी समस्याओं से छुटकारा मिलता है और विजय का आशीर्वाद मिलता है।
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