पितृपक्ष एक ऐसा समय है जब हम अपने पूर्वजों को याद करते हैं, उन्होंने हमारे लिए जो किया उसका धन्यवाद करते हैं, उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं वहीं उनसे आशीर्वाद की कामना करते हैं जिससे हमारा घर सुख समृद्धि से पूर्ण रहे। इस समय सभी पितर अपने सगे संबंधियों के पास पहुंचते हैं, उनके द्वारा दिए दान को पाकर उन्हें आशीर्वाद देते हैं। जिसके द्वारा हमारे घरों में और जीवन में दुखों का नाश होता है। इस अवधि में अपने पूर्वजों की संतुष्टि हेतु हमें श्राद्ध जरूर करना चाहिये, वहीं जो लोग श्राद्ध नही करते हैं वो दुखों से उबर नही पाते हैं। उनके जीवन में परेशानियां कहीं न कहीं से आने का रास्ता ढूंढ ही लेती हैं। यदि किसी की एक से अधिक सन्तान हों और एक ही परिवार के रूप में रह रहे हों तो ये कर्म घर के बड़े लड़के को करना चाहिए, यदि विभाजन के पश्चात सब अलग हो गए हों तो सभी को ये कर्म पूर्ण करना चाहिए। सभी को अपनी तीन पीढ़ियों सहित अपने नाना नानी का श्राद्ध भी करना चाहिए। इसके अलावा घर के सभी दिवंगत परिजनों जैसे मामा, ताऊ, चाचा, ससुर, भाई, भांजा, फूफा का भी श्राद्ध करना चाहिए। सभी का श्राद्ध पुण्यतिथि के दिन ही करना चाहिए। यदि किसी की दिवंगत तिथि न याद हो तो उनका अमावस्या को करना चाहिये। इस कर्म को सही रूप से करने के लिए यह पता होना जरूरी है कि किन पितरों का श्राद्ध कब किया जाना चाहिए।
इस पितृ पक्ष, 15 दिवसीय शक्ति समय में गया में अर्पित करें नित्य तर्पण, पितरों के आशीर्वाद से बदलेगी किस्मत : 20 सितम्बर - 6 अक्टूबर 2021