शास्त्रों के अनुसार शनि को ग्रहों में सबसे अधिक महत्व दिया गया है। शनिदेव को न्याय के देवता कहा जाता है एवं मनुष्य पृथ्वी पर जो भी गतिविधियां करता है और मनुष्य के कर्मों के उपरांत शनि देवता मनुष्य को फल देते हैं। नव ग्रहों में शनि ग्रह सबसे धीमी चाल से चलते हैं और सिर्फ यही कारण है कि शनिदेव को एक राशि से दूसरी राशि में पहुंचने में ढाई साल का समय लग जाता है। शास्त्रों के अनुसार शनि ग्रह जब भी किसी राशि को छोड़कर उसकी राशि में प्रवेश करता है तो कुछ राशियों पर शनि साढ़ेसाती या तो कुछ पर ढैय्या लगनी प्रारंभ हो जाती है। शनि देव को ज्योतिष में क्रूर और पापी ग्रह कहा जाता है। शनि के अशुभ प्रभावों से व्यक्ति का जीवन बुरी तरह प्रभावित हो जाता है। इस समय साल 2021 का छठा महीना चल रहा है।
ज्योतिषाचार्य के अनुसार बताया जाता है कि शनि साढ़ेसाती और ढैय्या का चरण काफी कष्टदायक माना जाता है क्योंकि इस दौरान मनुष्य को मानसिक, शारीरिक और आर्थिक कष्टों का सामना काफी करना पड़ता है। किसी भी कार्य में सफलता प्राप्त करने के लिए व्यक्ति को काफी मेहनत तो करनी पड़ती है। वेरी मनुष्य अपने कार्य में सफल होना चाहता है और यदि उसकी राशि पर शनि भारी है तो उसे काफी समस्या का सामना करना पड़ता है। वर्तमान में धनु मकर और कुंभ राशि के जातकों पर शनि की साढ़ेसाती चल चल रही है और वही मिथुन और तुला राशि पर शनि की ढैया प्रारंभ है।
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार अगर किसी व्यक्ति की शनि की साढ़े साती या फिर ढैय्या चल रही है तो कुछ उपायों के जरिए आप इनसे छुटकारा पा सकते हैं। शनि की महादशा से बचने के लिए आप शनि के वैदिक या तांत्रिक मंत्र सहित दशरथ कृत शनैश्चर स्तोत्र का पाठ कर सकते हैं। इन मंत्रों का जाप करने से शनि देव प्रसन्न होते हैं और व्यक्ति को शुभ परिणाम मिलते हैं।
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