माता लक्ष्मी को धन और समृद्धि की देवी कहा जाता है। कहते हैं कि धन है तो जीवन की आधी से ज्यादा समस्याएं तो यूं ही समाप्त हो जाती है व माता लक्ष्मी के रूठने से जीवन में दरिद्रता का समावेश हो जाता है। दरिद्रता को जीवन का महारोग माना गया है।
लक्ष्मी पूजा की विधि:-
पूजन शुरू करने से पहले चौकी को धोकर उस पर रंगोली बनालें और चौकी के चारों तरफ चार दीपक लगाएं ,जिस जगह पर मां लक्ष्मी और गणेश जी की प्रतिमा को स्थापित करने जा रहे हैं, वहां पर चावल जरूर रखें। मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए उनके बायीं ओर भगवान विष्णु की प्रतिमा को स्थापित जरूर करें।
आसन लगाकर भगवान के सामने बैठ जाएं और खुद को व आसन को इस मंत्र से शुद्ध करें-
ऊं अपवित्र : पवित्रोवा सर्वावस्थां गतोऽपिवा। य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तर: शुचि :॥
इस मंत्र से खुद पर और आसन पर 3-3 बार कुशा व पुष्पादि से छीटें लगाएं।
पुष्प, फल, सुपारी, पान, चांदी का सिक्का, नारियल (पानी वाला), मिठाई, मेवा, आदि सभी सामग्री थोड़ी-थोड़ी मात्रा में लेकर पूजन के लिए संकल्प लें। सबसे पहले गजानंद (गणेशजी) की पूजा करें और इसके बाद फिर सारे स्थापित सभी देवी-देवताओं का पूजन करें। फिर कलश की स्थापना करें और मां लक्ष्मी का ध्यान करें। मां लक्ष्मी को इस दिन लाल वस्त्र जरूर ही पहनाएं।
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