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Home ›   Blogs Hindi ›   Previous Birth Prediction: What were you in your previous birth, know from the point of view of astrology

Previous Birth Prediction: पिछले जन्म में आप क्या थे, जानिए ज्योतिष की नज़र से

Shaily Prakashशैली प्रकाश Updated 09 May 2024 03:19 PM IST
जाने पिछले जन्म में क्या थे आप
जाने पिछले जन्म में क्या थे आप - फोटो : My Jyotish

खास बातें

Previous Birth Prediction: आपकी कुंडली बताती है कि आप पिछले जन्म में क्या थे और आपने किस प्रकार के क्रम किए थे। इसी विषय में अपनी कुंडली में ग्रहों की स्थिति को देखकर अपने पूर्व जन्म का लेखा जोखा जानिए।
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Previous Birth Prediction: आपकी कुंडली में आपके पिछले जन्म की स्थिति लिखी होती है कि आप पिछले जन्म में क्या थे। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब भी कोई जातक पैदा होता है तो वह अपनी भक्ति और भोग्य दशाओं के साथ पिछले जन्म के भी कुछ सूत्र लेकर आता है। ज्योतिष धारणा के अनुसार, मनुष्य के वर्तमान जीवन में जो कुछ भी अच्छा या बुरा अनायास घट रहा है, उसे पिछले जन्म का प्रारब्ध या भोग्य अंश माना जाता है। पिछले जन्म के अच्छे कर्म इस जन्म में सुख दे रहे हैं या पिछले जन्म के पाप इस जन्म में उदय हो रहे हैं, यह खुद का जीवन देखकर जाना जा सकता है, लेकिन हम यहां कुंडली में ग्रहों की स्थिति के अनुसार आपके पिछले जन्म का रहस्य खोल रहे हैं।

1. यदि आपकी कुंडली में प्रथम या सप्तम भाव में शुक्र अच्छी स्थिति में है तो आप अपने पूर्व जन्म में एक बड़े अधिकारी, राजनेता या धनपति थे। आप बहुत ही सुलझे हुए व्यक्ति थे और भोग विलास सहित सभी तरह के सुख आपके पास थे। यदि जातक की कुंडली में लग्न या सप्तम भाव में शुक्र ग्रह हो तो माना जाता है कि जातक पूर्वजन्म में जीवन के सभी सुखों को भोगने वाला राजा अथवा सेठ था।

2. यदि आपकी कुंडली में कोई से भी 4 ग्रह अपनी उच्च राशि या स्वराशि में स्थित है तो आप एक महान व्यक्ति थे और कोई ऊंचा काम करके आए हैं। ऊंचा कार्य अर्थात आपके काम से समाज, देश और दुनिया का भला हुआ है। 4 ग्रह उच्च का अर्थ जैसे- मेष में सूर्य, कर्क में बृहस्पति, तुला में शनि, मकर में मंगल हो या स्वराशि मेष में मंगल, सिंह में सूर्य, कुंभ में शनि और धनु में बृहस्पति हो। यह बहुत ही ऊंचे दर्जे का इंसान होने का संकेत है। यदि जातक की कुंडली में 4 या इससे अधिक ग्रह उच्च राशि के अथवा स्वराशि के हों तो यह माना जाता है कि जातक उत्तम योनि या जीवन भोगकर यहां जन्म लिया है।

3. ज्योतिष मान्यता अनुसार, यदि आपकी कुंडली में 4 ग्रह नीच के हो, जैसे शनि मेष में, सूर्य तुला में, बृहस्पति मकर में और मंगल कर्क में हो तो इसका मतलब यह कि उस जातक ने पूर्व जन्म में आत्महत्या की थी।
 
4. यदि आपकी कुंडली के 6, 8, 12 भाव में सूर्य नीच की राशि में हो अर्थात कन्या, वृश्चिक या मीन राशि में सूर्य हो तो आप अपने पूर्व जन्म में बहुत क्रोधी थे। बहुत से लोग आपके व्यवहार के कारण दुखी और निराश थे।  

5. यदि आपकी कुंडली में मंगल 6, 7 और 10 में से कहीं भी भाव में हो और लग्न पर उसकी दृष्टि पड़ रही है तो आप बहुत ही भयानक क्रोधी थे। लोग आपसे भयाक्रांत रहकर हमेशा दुखी और संताप में रहते थे। 

6. यदि आपकी कुंडली में बृहस्पति लग्न में हो या कहीं भी बैठकर लग्न को देख रहा हो। यानी पंचम, सप्तम या नवम भाव में बैठकर लग्न में देख रहा हो तो ऐसा व्यक्ति अपने पिछले जन्म में महात्मा, संत, ज्ञानी या बहुत ही विद्वान व्यक्ति था। किसी कारणवश उसे पुन: जन्म लेना पड़ा।

7. यदि आपकी कुंडली के लग्न या सप्तम भाव में राहु है तो आपकी मृत्यु अस्वाभाविक रूप से हुई है। यानी किसी दुर्घटना में या हत्या के कारण आपकी मृत्यु हुई है। हो सकता है कि अचानक से कोई गंभीर रोग उभरा जिसने आपकी जान ले ली।

8. यदि आपकी कुंडली में बुध ग्रह लग्न में हो तो आप पिछले जन्म में एक व्यापारी थे। व्यापार अच्छा खासा चलता था, परंतु आपका जीवन कलेशपूर्ण था। लग्न में उच्च या स्वराशि का बुध या चंद्र स्थिति हो तो आप पूर्व जन्म में सद्गुणी व्यापारी थे। लग्नस्थ बुध है तो वणिक पुत्र होकर विविध क्लेशों से ग्रस्त था।

9. यदि आपकी कुंडली में बृहस्पति पांचवें या नौवें भाव में हो और उस पर शुक्र की दृष्टि पड़ रही हो अर्थात बृहस्पति यदि पंचम में है तो शुक्र एकादश से गुरु को देखेगा। नवम के गुरु को तृतीय भाव में स्थित शुक्र देखेगा। यदि कुंडली में ऐसी स्थिति है तो आपको धर्मशास्त्रों का ज्ञान था। आप वेदपाठी ब्राह्मण थे। आप एक नेक और अच्छे इंसान थे। 

10. किसी जातक की कुंडली के लग्न स्थान में मंगल उच्च राशि या स्वराशि में स्थित हो तो इसका अर्थ है कि वह पूर्व जन्म में योद्धा था। यदि मंगल षष्ठ, सप्तम या दशम भाव में है तो यह माना जाता है कि जातक पूर्वजन्म में बहुत क्रोधी स्वभाव का था।

11. यदि जातक की कुण्डली में लग्नस्थ गुरु है तो माना जाता है कि जन्म लेने वाला जातक बहुत ज्यादा धार्मिक स्वभाव का था। यदि जातक की कुंडली में कहीं भी उच्च का गुरु होकर लग्न को देख रहा हो तो माना जाता है कि जातक पूर्वजन्म में धर्मात्मा, सद्गुणी एवं विवेकशील साधु अथवा तपस्वी था। गुरु शुभ ग्रहों से दृष्ट हो या पंचम या नवम भाव में हो तो भी उसे संन्यासी माना जाता है।

12. यदि कुंडली में सूर्य छठे, आठवें या बारहवें भाव में हो अथवा तुला राशि का हो तो माना जाता है कि जातक पूर्वजन्म में भ्रष्ट जीवन जीकर जन्मा है।

13. यदि जातक की कुंडली में लग्न, एकादश, सप्तम या चौथे भाव में शनि हो तो यह माना जाता है कि जातक पूर्वजन्म में पापपूर्ण कार्यों में लिप्त था। यदि प्रथम, चतुर्थ, सप्तम या एकादश भाव में शनि है तो पूर्व जन्म में आप प्रतिष्ठित और समृद्ध परिवार में थे। परंतु आपके कर्म अच्छे नहीं थे।

14. यदि जातक की कुंडली में ग्यारहवें भाव में सूर्य, पांचवे में गुरु तथा बारहवें में शुक्र है तो माना जाता है कि जातक पूर्वजन्म में धर्मात्मा प्रवृत्ति का तथा लोगों की मदद करने वाला था।
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