खास बातें
Masik Kalashtami 2024 Date: इस माह वैदिक पंचांग के अनुसार वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की काला अष्टमी तिथि 01 मई 2024 को मनाई जाएगी. इस दिन भगवान शिव के काल भैरव रुप का पूजन हर प्रकार के सुख प्रदान करता है तथा रोग एवं दोषों से मुक्ति की प्राप्ति होती है.
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Kalashtami Vrat : कालाष्टमी व्रत करने से भ्क्त को भगवान भैरव का आशीर्वाद प्राप्त होता है. इस्द इन पूजा करने से सभी तरह के नकारात्मक असर से मुक्ति मिल जाती है. कालाष्टमी के दिन व्रत करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है.
पंचांग के अनुसार हर महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी का व्रत रखा जाता है. इस दिन भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव देव की पूजा की जाती है परंपरा एवं धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कालाष्टमी व्रत रखने से व्यक्ति के जीवन से सभी कष्ट, दुख और क्लेश दूर हो जाते हैं. आइए जानते हैं वैशाख माह में मासिक कालाष्टमी व्रत शुभ समय, स्त्रोत एवं पूजा लाभ.
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काल भैरव पूजा विशेष मुहूर्त 2024
हिंदू धर्म में भगवान काल भैरव को भगवान शिव के स्वरुप में पूजा जाता है. इन्हें सभी प्रकार के भय, शत्रुओं एवं नेगटीव चीजों पर विजय दिलाने वाले देव के रूप में जाता है. काल भैरव की पूजा और मंत्र भक्तों को मनचाहा आशीर्वाद प्रदान करता है, काल भैरव पूजा के लिए 1 मई 2024 को सुबह 05:45 मिनट पर शुरू होगी. वहीं इसकी समाप्ति 02 मई को सुबह 04:01 बजे होगी. इसके चलते मासिक कालाष्टमी व्रत 1 मई को मनाया जाएगा. इस दिन प्रदोष काल में पूजा करना सबसे शुभ रहेगा. इस दिन भगवान भैरव के मंत्र का जाप व स्त्रोत करते ही सारी परेशानियां दूर हो जाती है. भैरव पूजन से हर मनोकामना जल्द पूरी होगी.भगवान भैरव पूजा विधि महत्व
काल भैरव पूजन बहुत ही शुभ होता है. इस दिन पूजन द्वारा जाप करते ही सारी परेशानियां दूर हो जाती हैं और हर मनोकामना जल्द पूरी होगी. काल भैरव जयंती की पूजा विधि अनुसार भगवान काल भैरव को देवों के देव यानि भगवान शिव का रूद्र अवतार माना जाता है. जिनकी पूजा के लिए कालाष्टमी का समय शुभ होता है. हर माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी का दिन बहुत शुभ और शीघ्र फलदायी माना जाता है. हिंदू धर्म में कृष्ण पक्ष में आने वाली अष्टमी को भगवान काल भैरव की पूजा के रूप में मनाया जाता है. शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि इसी शुभ तिथि पर भगवान भैरव प्रकट हुए थे. ऐसा माना जाता है कि अगर इस दिन भगवान भैरव की विधि-विधान से पूजा की जाए तो बड़ी से बड़ी विपदाएं भी पलक झपकते दूर हो जाती हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं.आपके स्वभाव से लेकर भविष्य तक का हाल बताएगी आपकी जन्म कुंडली, देखिए यहाँ
काल भैरव पूजा लाभ
भगवान काल भैरव की कृपा पाने के लिए पूजा में सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए और फूल, फल आदि चढ़ाना चाहिए. श्री कालभैरवाष्टकम का पाठ अथवा मंत्र जाप करना चाहिए.इस दिन भगवान शिव के मंदिर में जा कर शिवलिंग जलाभिषेक करना चाहिए. बेलपत्र अर्पित करना चाहिए. ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करना चाहिए. श्रद्धा और विश्वास के साथ पूजन संपन्न करना चाहिए. इस पूजन को करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं.
जन्मकुंडली ज्योतिषीय क्षेत्रों में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है
काल भैरव अष्टकम्
देवराजसेव्यमानपावनांघ्रिपङ्कजं
व्यालयज्ञसूत्रमिन्दुशेखरं कृपाकरम्.
नारदादियोगिवृन्दवन्दितं दिगंबरं
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥॥
भानुकोटिभास्वरं भवाब्धितारकं परं
नीलकण्ठमीप्सितार्थदायकं त्रिलोचनम्.
कालकालमंबुजाक्षमक्षशूलमक्षरं
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥॥
शूलटङ्कपाशदण्डपाणिमादिकारणं
श्यामकायमादिदेवमक्षरं निरामयम्.
भीमविक्रमं प्रभुं विचित्रताण्डवप्रियं
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥॥
भुक्तिमुक्तिदायकं प्रशस्तचारुविग्रहं
भक्तवत्सलं स्थितं समस्तलोकविग्रहम्.
विनिक्वणन्मनोज्ञहेमकिङ्किणीलसत्कटिं
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥॥
धर्मसेतुपालकं त्वधर्ममार्गनाशकं
कर्मपाशमोचकं सुशर्मदायकं विभुम्.
स्वर्णवर्णशेषपाशशोभिताङ्गमण्डलं
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥॥
रत्नपादुकाप्रभाभिरामपादयुग्मकं
नित्यमद्वितीयमिष्टदैवतं निरंजनम्.
मृत्युदर्पनाशनं करालदंष्ट्रमोक्षणं
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥॥
अट्टहासभिन्नपद्मजाण्डकोशसंततिं
दृष्टिपातनष्टपापजालमुग्रशासनम्.
अष्टसिद्धिदायकं कपालमालिकाधरं
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥॥
भूतसंघनायकं विशालकीर्तिदायकं
काशिवासलोकपुण्यपापशोधकं विभुम्.
नीतिमार्गकोविदं पुरातनं जगत्पतिं
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥॥
व्यालयज्ञसूत्रमिन्दुशेखरं कृपाकरम्.
नारदादियोगिवृन्दवन्दितं दिगंबरं
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥॥
भानुकोटिभास्वरं भवाब्धितारकं परं
नीलकण्ठमीप्सितार्थदायकं त्रिलोचनम्.
कालकालमंबुजाक्षमक्षशूलमक्षरं
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥॥
शूलटङ्कपाशदण्डपाणिमादिकारणं
श्यामकायमादिदेवमक्षरं निरामयम्.
भीमविक्रमं प्रभुं विचित्रताण्डवप्रियं
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥॥
भुक्तिमुक्तिदायकं प्रशस्तचारुविग्रहं
भक्तवत्सलं स्थितं समस्तलोकविग्रहम्.
विनिक्वणन्मनोज्ञहेमकिङ्किणीलसत्कटिं
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥॥
धर्मसेतुपालकं त्वधर्ममार्गनाशकं
कर्मपाशमोचकं सुशर्मदायकं विभुम्.
स्वर्णवर्णशेषपाशशोभिताङ्गमण्डलं
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥॥
रत्नपादुकाप्रभाभिरामपादयुग्मकं
नित्यमद्वितीयमिष्टदैवतं निरंजनम्.
मृत्युदर्पनाशनं करालदंष्ट्रमोक्षणं
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥॥
अट्टहासभिन्नपद्मजाण्डकोशसंततिं
दृष्टिपातनष्टपापजालमुग्रशासनम्.
अष्टसिद्धिदायकं कपालमालिकाधरं
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥॥
भूतसंघनायकं विशालकीर्तिदायकं
काशिवासलोकपुण्यपापशोधकं विभुम्.
नीतिमार्गकोविदं पुरातनं जगत्पतिं
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥॥