खास बातें
आने वाली 14 मई को गंगा सप्तमी आ रही है, मान्यता के अनुसार इस दिन गंगा मां का उदगम हुआ था। लोग इस दिन गंगा नदी में स्नान करते हैं। माता गंगा की पूजा अर्चना करते हैं और दान पुण्य का काम करते हैं।
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हिन्दू धर्म में गंगा माता बहुत ही पूज्यनीय है। केवल गंगा का जल ही एक मात्र ऐसा जल है जो कभी खराब नहीं होता है और उसे बहुत ही पवित्र माना जाता है। आने वाली 14 मई को गंगा सप्तमी आ रही है, मान्यता के अनुसार इस दिन गंगा मां का उदगम हुआ था। लोग इस दिन गंगा नदी में स्नान करते हैं। माता गंगा की पूजा अर्चना करते हैं और दान पुण्य का काम करते हैं। गंगा नदी में स्नान करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है, पापों का शमन होता है और मनोकामनाएं पूर्ण होती है। गंगा नदी भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व की सभी नदियों में से सबसे पवित्र है। इसे मोक्षदायिनी और जीवनदायिनी के रूप में पूजा जाता है। गंगा नदी का उदगम हिमालय से होता है। यह उत्तराखंड के गंगोत्री ग्लेशियर से निकलकर आती है। पहाड़ों से उदगम होने के कारण इसमें कई प्रकार की जड़ी बूटियां मिली होती हैं, जिसके कारण इसका जल पवित्र और कभी खराब ना होने वाला होता है। गंगा नदी लगभग कई हजार कि.मी. की यात्रा तय करके उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और अंत में बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है। गंगा नदी सदियों से भारतीय संस्कृति और सभ्यता का अभिन्न अंग रही है। गंगा नदी के तट पर कई प्राचीन और धार्मिक स्थल स्थित हैं, जैसे कि हरिद्वार, ऋषिकेश, काशी, प्रयागराज, वाराणसी आदि।
गंगा सप्तमी कब और क्यों मनाई जाती है?
गंगा सप्तमी हिन्दू पंचांग के अनुसार, वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाया जाती है और यह गंगा माता का अवतरण दिवस है। इस बार गंगा सप्तमी 14 मई 2024 को है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन भागीरथ ने गंगा नदी को स्वर्ग से धरती पर लाने में सफलता प्राप्त की थी। गंगा सप्तमी के दिन लोग गंगा नदी में स्नान करते हैं, दान-पुण्य करते हैं, और गंगा माता की पूजा-अर्चना करते हैं। इस दिन गंगा स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति, पापों का नाश, और मनोकामनाओं की पूर्ति का विश्वास किया जाता है।
गंगा सप्तमी के दिन क्या करें?
गंगा सप्तमी के दिन प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें। यदि आप घर पर स्नान कर रहे हैं तो उसमें गंगजल मिलाएं और यदि संभव हो तो गंगा में जाकर स्नान करें। इस दिन दान पुण्य का बहुत महत्त्व माना गया है। आप गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र, धन आदि दान कर सकते हैं। इस दिन माँ गंगा की पूजा अर्चना करें। संभव हो तो आप गंगा के तट पर जाकर गंगा आरती में शामिल हो सकते हैं या घर पर ही माता की पूजा अर्चना कर सकते हैं।
गंगा सप्तमी कब और क्यों मनाई जाती है?
गंगा सप्तमी हिन्दू पंचांग के अनुसार, वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाया जाती है और यह गंगा माता का अवतरण दिवस है। इस बार गंगा सप्तमी 14 मई 2024 को है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन भागीरथ ने गंगा नदी को स्वर्ग से धरती पर लाने में सफलता प्राप्त की थी। गंगा सप्तमी के दिन लोग गंगा नदी में स्नान करते हैं, दान-पुण्य करते हैं, और गंगा माता की पूजा-अर्चना करते हैं। इस दिन गंगा स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति, पापों का नाश, और मनोकामनाओं की पूर्ति का विश्वास किया जाता है।
गंगा सप्तमी के दिन क्या करें?
गंगा सप्तमी के दिन प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें। यदि आप घर पर स्नान कर रहे हैं तो उसमें गंगजल मिलाएं और यदि संभव हो तो गंगा में जाकर स्नान करें। इस दिन दान पुण्य का बहुत महत्त्व माना गया है। आप गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र, धन आदि दान कर सकते हैं। इस दिन माँ गंगा की पूजा अर्चना करें। संभव हो तो आप गंगा के तट पर जाकर गंगा आरती में शामिल हो सकते हैं या घर पर ही माता की पूजा अर्चना कर सकते हैं।